Shivraj Singh Chauhan : धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल (नईदुनिया)। बहुत ही साधारण परिवार और गंवई शैली से जिसके जीवन सफर शुरू हुआ, वही शिवराज सिंह चौहान अब एक सलीकेदार मुख्यमंत्री हैं। पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आने के बाद और फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहकर शिवराज ने जो अनुशासन का पाठ सीखा, वहीं स्वअनुशासन उनके जीवन की लाइफ स्टाइल का मूल मंत्र है। अमूमन भीड़ से दूरी बना पाना चौहान के लिए बड़ा मुश्किल होता है पर चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्हें वैश्विक बीमारी कोरोना से निपटने की बड़ी चुनौती मिली है। इस दौरान विधानसभा से मंत्रालय तक में वे मास्क लगाकर अन्य लोगों से दूरी बनाकर चल रहे हैं और भरसक कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना पर किसी भी सूरत में नियंत्रण पाया जा सके।
रोजाना सुबह पांच बजे करते हैं योग शिवराज सिंह चौहान 1991-92 में जब भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने तो उन्हें क्रांतिकारी भाषण के लिए जाना जाता था। उनके हर भाषण में भगत सिंह और बिस्मिल की शहादत के किस्से शामिल होते थे। तब और अब के शिवराज के पहनावे में तो बदलाव आया, लेकिन उनकी लाइफ स्टाइल और अनुशासन वही है। इसकी शुरुआत की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। कहीं भी कुछ भी खाने-पीने के कारण एक बार शिवराज बेहद गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। तब उन्हें इलाज के साथ-साथ योग गुरु हुकुमचंद संकुशल ने योग-नीति की शिक्षा दी। वे खुद ही कहते हैं कि संकुशल ने उन्हें नया जीवन दिया है। तब से शिवराज ने योग को जीवन का आधार बना लिया। वे रोजाना सुबह पांच बजे उठते हैं और सबसे पहले आधा से पौन घंटे तक योग करते हैं। मुख्यमंत्री रहे 13 साल तो भी उनका यह क्रम कभी नहीं टूटा। यही वजह है कि रात में हर हाल में भोपाल अपने घर में वापस आ जाते हैं। चौहान रोजाना सूर्य भगवान को पानी का अर्घ्य देना भी कभी भूलते नहीं हैं। आधा घंटे की पूजा करना भी उनकी दिनचर्या का अनिवार्य काम है।
गंभीरता से पढ़ते हैं अखबार : सुबह सात बजे के लगभग चौहान तैयार होकर सबसे पहला काम अखबार पढ़ने का करते हैं। आधा-पौन घंटे अखबार पढ़ने के बाद पपीता, पोहा या एक पराठा का नाश्ता करने के बाद चौहान का असली काम शुरू हो जाता है। वैसे आम दिनों में इस वक्त सभी से मिलते-जुलते हैं पर मंगलवार को आठ बजे से ही वे कलेक्टरों और अपने विधायक-सांसदों से जिले में कोरोना को लेकर व्याप्त स्थिति के बारे में बातचीत करते रहे। फिर विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के मुद्दे पर संगठन नेताओं के साथ चर्चा करते हैं और विधानसभा को निकल पढ़ते हैं। घर लौटते हैं फिर भोजन करने के बाद ढाई बजे मंत्रालय के लिए निकल जाते हैं। जहां कोरोना संकट से निपटने की तैयारियों के बारे में अफसरों के साथ बैठकें करते हैं। इस दौरान खुद भी मास्क लगाए हुए हैं और सभी के बीच दूरी का भी विशेष ख्याल रख रहे हैं। जेब में सैनिटाइजर रखे हैं। बीच-बीच में उससे हाथ साफ कर लेते हैं। जहां मौका मिलता है, हाथ धो लेते हैं।
दर्शन शास्त्र में हैं गोल्ड मेडलिस्ट : शिवराज ने दर्शन शास्त्र में एमए किया है, इसलिए हर उनके हर भाषण दर्शन का भाव भी मिलता है। मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी चौहान के व्यक्तित्व का सबसे बड़ा पहलू उनकी सहजता है। 13 साल सीएम की कुर्सी पहले भी संभाली पर अहं नाम मात्र का नहीं। राजनेता आमतौर पर अपने चेहरे के भाव को प्रकट नहीं होने देते, लेकिन चौहान के चेहरे के हर भाव को पढ़ा जा सकता है। जिससे अंदाज लगाया जा सकता है कि वे खुश हैं या नाराज।